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Tuesday, March 29, 2016

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From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-03-25 13:59 GMT+05:30
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To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


गौमूत्र के 25 रोचक गुण- जो आप नहीं जानते

गाय के गोबर में लक्ष्मी और मूत्र में गंगा का वास होता है, जबकि आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग कहे गए हैं। गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली कई बीमारियां दूर ही रहती हैं। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है। इसके कुछ गुण इस प्रकार गए हैं :-

1. गौ मूत्र कड़क, कसैला, तीक्ष्ण और ऊष्ण होने के साथ-साथ विष नाशक, जीवाणु नाशक, त्रिदोष नाशक, मेधा शक्ति वर्द्धक और शीघ्र पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, ताम्र, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड, पोटाशियम, सल्फेट, फास्फेट, क्लोराइड और सोडियम की विभिन्न मात्राएं पायी जाती हैं। यह शरीर में ताम्र की कमी को पूरा करने में भी सहायक है।

2. गौमूत्र को न केवल रक्त के सभी तरह के विकारों को दूर करने वाला, कफ, वात व पित्त संबंधी तीनो दोषों का नाशक, हृदय रोगों व विष प्रभाव को खत्म करने वाला, बल-बुद्धि देने वाला बताया गया है, बल्कि यह आयु भी बढ़ाता है।

3. पेट की बीमारियों के लिए गौमूत्र रामवाण की तरह काम करता है, इसे चिकित्सीय सलाह के अनुसार नियमित पीने से यकृत यानि लिवर के बढ़ने की स्थिति में लाभ मिलता है। यह लिवर को सही कर खून को साफ करता है और रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करता है।

4. 20 मिली गौमूत्र प्रात: सायं पीने से निम्न रोगों में लाभ होता है।

1. भूख की कमी, 2. अजीर्ण, 3. हर्निया, 4. मिर्गी, 5. चक्कर आना, 6. बवासीर, 7. प्रमेह, 8.मधुमेह, 9.कब्ज, 10. उदररोग, 11. गैस, 12. लूलगना, 13.पीलिया, 14. खुजली, 15.मुखरोग, 16.ब्लडप्रेशर, 17.कुष्ठ रोग, 18. जांडिस, 19. भगन्दर, 20. दन्तरोग, 21. नेत्र रोग, 22. धातु क्षीणता, 23. जुकाम, 24. बुखार, 25. त्वचा रोग, 26. घाव, 27. सिरदर्द, 28. दमा, 29. स्त्रीरोग, 30. स्तनरोग, 31.छिहीरिया, 32. अनिद्रा।

5. गौमूत्र को मेध्या और हृदया कहा गया है। इस तरह से यह दिमाग और हृदय को शक्ति प्रदान करता है। यह मानसिक कारणों से होने वाले आघात से हृदय की रक्षा करता है और इन अंगों को प्रभावित करने वाले रोगों से बचाता है।

6. इसमें कैसर को रोकने वाली 'करक्यूमिन' पायी जाती है |

7. कैंसर की चिकित्सा में रेडियो एक्टिव एलिमेन्ट प्रयोग में लाए जाते है | गौमूत्र में विद्यमान सोडियम,पोटेशियम,मैग्नेशियम,फास्फोरस,सल्फर आदि में से कुछ लवण विघटित होकर रेडियो एलिमेन्ट की तरह कार्य करने लगते है और कैंसर की अनियन्त्रित वृद्धि पर तुरन्त नियंत्रण करते है | कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते है | अर्क आँपरेशन के बाद बची कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है | यानी गौमूत्र में कैसर बीमारी को दूर करने की शक्ति समाहित है |

8. दूध देने वाली गाय के मूत्र में "लेक्टोज" की मात्रा आधिक पाई जाती है, जो हृदय और मस्तिष्क के विकारों के लिए उपयोगी होता है।

9. गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है! इसके अन्दर 'कार्बोलिक एसिड' होता है जो कीटाणु नासक है, यह किटाणु जनित रोगों का भी नाश करता है। गौमूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे, ख़राब नहीं होता है।

10. जोड़ों के दर्द में दर्द वाले स्थान पर गौमूत्र से सेकाई करने से आराम मिलता है। सर्दियों के मौषम में इस परेशानी में सोंठ के साथ गौ मूत्र पीना फायदेमंद बताया गया है।

11. गैस की शिकायत में प्रातःकाल आधे कप पानी में गौ मूत्र के साथ नमक और नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।

12. चर्म रोग में गौ मूत्र और पीसे हुए जीरे के लेप से लाभ मिलता है। खाज, खुजली में गौ मूत्र उपयोगी है।

13. गौमूत्र मोटापा कम करने में भी सहायक है। एक ग्लास ताजे पानी में चार बूंद गौ मूत्र के साथ दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर नियमित पीने से लाभ मिलता है।

14. गौमूत्र का सेवन छानकर किया जाना चाहिए। यह वैसा रसायन है, जो वृद्धावस्था को रोकता है और शरीर को स्वस्थ्यकर बनाए रखता है।

15.गौमूत्र किसी भी प्रकृतिक औषधी के साथ मिलकर उसके गुण-धर्म को बीस गुणा बढ़ा देता है| गौमूत्र का कई खाद्य पदार्थों के साथ अच्छा संबंध है जैसे गौमूत्र के साथ गुड़, गौमूत्र शहद के साथ आदि|

16.अमेरिका में हुए एक अनुसंधान से सिध्द हो गया है कि गौ के पेट में "विटामिन बी" सदा ही रहता है। यह सतोगुणी रस है व विचारों में सात्विकता लाता है।

17.गौमूत्र लेने का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल का होता है और इसे पेट साफ करने के बाद खाली पेट लेना चाहिए| गौमूत्र सेवन के 1 घंटे पश्चात ही भोजन करना चाहिए|

18. गौमूत्र देशी गाय का ही सेवन करना सही रहता है। गाय का गर्भवती या रोग ग्रस्त नहीं होना चाहिए। एक वर्ष से बड़ी बछिया का गौ मूत्र बहुत लाभकारी होता है।

19. मांसाहारी व्यक्ति को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| गौमूत्र लेने के 15 दिन पहले मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए| पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को सीधे गौमूत्र नहीं लेना चाहिए, गौमूत्र को पानी में मिलाकर लेना चाहिए| पीलिया के रोगी को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| देर रात्रि में गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| ग्रीष्म ऋतु में गौमूत्र कम मात्र में लेना चाहिए|

20. घर में गौमूत्र छिड़कने से लक्ष्मी कृपा मिलती है, जिस घर में प्रतिदिन गौमूत्र का छिड़काव किया जाता है, वहां देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।

21.गौमूत्र में गंगा मईया वास करती हैं। गंगा को सभी पापों का हरण करने वाली माना गया है, अत: गौमूत्र पीने से पापों का नाश होता है।

22.जिस घर में नियमित रूप से गौमूत्र का छिड़काव होता है, वहां बहुत सारे वास्तु दोषों का समाधान एक साथ हो जाता हैं।

23. देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से '`प्रोपिलीन ऑक्साइड" उत्पन्न होती है, जो बारिस लाने में सहायक होती है| इसी के मिश्रण से 'इथिलीन ऑक्साइड' गैस निकलती है जो ऑपरेशन थियटर में काम आता है |

24. गोमुत्र कीटनाशक के रूप में भी उपयोगी है। देसी गाय के एक लीटर गोमुत्र को आठ लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग किया जाता है । गोमुत्र के माध्यम से फसल को नैसर्गिक युरिया मिलता है। इस कारण खाद के रूप में भी यह छिड़काव उपयोगी होता है ।गौमूत्र से औषधियाँ एपं कीट नियंत्रक बनाया जा सकता है।

25. अमेरिका ने गौ मूत्र पर 6 पेटेंट ले लिए हैं, और अमेरिकी सरकार हर साल भारत से गाय का मूत्र आयात करती है और उससे कैंसर की दवा बनाती हैं । उसको इसका महत्व समझ आने लगा है। जबकि हमारे शास्त्रो मे करोड़ो वर्षो पहले से इसका महत्व बताया गय[truncated by WhatsApp]


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गौमूत्र के 25 रोचक गुण- जो आप नहीं जानते

गाय के गोबर में लक्ष्मी और मूत्र में गंगा का वास होता है, जबकि आयुर्वेद में गौमूत्र के ढेरों प्रयोग कहे गए हैं। गौमूत्र का रासायनिक विश्लेषण करने पर वैज्ञानिकों ने पाया, कि इसमें 24 ऐसे तत्व हैं जो शरीर के विभिन्न रोगों को ठीक करने की क्षमता रखते हैं। आयुर्वेद के अनुसार गौमूत्र का नियमित सेवन करने से कई बीमारियों को खत्म किया जा सकता है। जो लोग नियमित रूप से थोड़े से गौमूत्र का भी सेवन करते हैं, उनकी रोगप्रतिरोधी क्षमता बढ़ जाती है। मौसम परिवर्तन के समय होने वाली कई बीमारियां दूर ही रहती हैं। शरीर स्वस्थ और ऊर्जावान बना रहता है। इसके कुछ गुण इस प्रकार गए हैं :-

1. गौ मूत्र कड़क, कसैला, तीक्ष्ण और ऊष्ण होने के साथ-साथ विष नाशक, जीवाणु नाशक, त्रिदोष नाशक, मेधा शक्ति वर्द्धक और शीघ्र पचने वाला होता है। इसमें नाइट्रोजन, ताम्र, फास्फेट, यूरिया, यूरिक एसिड, पोटाशियम, सल्फेट, फास्फेट, क्लोराइड और सोडियम की विभिन्न मात्राएं पायी जाती हैं। यह शरीर में ताम्र की कमी को पूरा करने में भी सहायक है।

2. गौमूत्र को न केवल रक्त के सभी तरह के विकारों को दूर करने वाला, कफ, वात व पित्त संबंधी तीनो दोषों का नाशक, हृदय रोगों व विष प्रभाव को खत्म करने वाला, बल-बुद्धि देने वाला बताया गया है, बल्कि यह आयु भी बढ़ाता है।

3. पेट की बीमारियों के लिए गौमूत्र रामवाण की तरह काम करता है, इसे चिकित्सीय सलाह के अनुसार नियमित पीने से यकृत यानि लिवर के बढ़ने की स्थिति में लाभ मिलता है। यह लिवर को सही कर खून को साफ करता है और रोग से लड़ने की क्षमता विकसित करता है।

4. 20 मिली गौमूत्र प्रात: सायं पीने से निम्न रोगों में लाभ होता है।

1. भूख की कमी, 2. अजीर्ण, 3. हर्निया, 4. मिर्गी, 5. चक्कर आना, 6. बवासीर, 7. प्रमेह, 8.मधुमेह, 9.कब्ज, 10. उदररोग, 11. गैस, 12. लूलगना, 13.पीलिया, 14. खुजली, 15.मुखरोग, 16.ब्लडप्रेशर, 17.कुष्ठ रोग, 18. जांडिस, 19. भगन्दर, 20. दन्तरोग, 21. नेत्र रोग, 22. धातु क्षीणता, 23. जुकाम, 24. बुखार, 25. त्वचा रोग, 26. घाव, 27. सिरदर्द, 28. दमा, 29. स्त्रीरोग, 30. स्तनरोग, 31.छिहीरिया, 32. अनिद्रा।

5. गौमूत्र को मेध्या और हृदया कहा गया है। इस तरह से यह दिमाग और हृदय को शक्ति प्रदान करता है। यह मानसिक कारणों से होने वाले आघात से हृदय की रक्षा करता है और इन अंगों को प्रभावित करने वाले रोगों से बचाता है।

6. इसमें कैसर को रोकने वाली 'करक्यूमिन' पायी जाती है |

7. कैंसर की चिकित्सा में रेडियो एक्टिव एलिमेन्ट प्रयोग में लाए जाते है | गौमूत्र में विद्यमान सोडियम,पोटेशियम,मैग्नेशियम,फास्फोरस,सल्फर आदि में से कुछ लवण विघटित होकर रेडियो एलिमेन्ट की तरह कार्य करने लगते है और कैंसर की अनियन्त्रित वृद्धि पर तुरन्त नियंत्रण करते है | कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करते है | अर्क आँपरेशन के बाद बची कैंसर कोशिकाओं को भी नष्ट करता है | यानी गौमूत्र में कैसर बीमारी को दूर करने की शक्ति समाहित है |

8. दूध देने वाली गाय के मूत्र में "लेक्टोज" की मात्रा आधिक पाई जाती है, जो हृदय और मस्तिष्क के विकारों के लिए उपयोगी होता है।

9. गाय के मूत्र में आयुर्वेद का खजाना है! इसके अन्दर 'कार्बोलिक एसिड' होता है जो कीटाणु नासक है, यह किटाणु जनित रोगों का भी नाश करता है। गौमूत्र चाहे जितने दिनों तक रखे, ख़राब नहीं होता है।

10. जोड़ों के दर्द में दर्द वाले स्थान पर गौमूत्र से सेकाई करने से आराम मिलता है। सर्दियों के मौषम में इस परेशानी में सोंठ के साथ गौ मूत्र पीना फायदेमंद बताया गया है।

11. गैस की शिकायत में प्रातःकाल आधे कप पानी में गौ मूत्र के साथ नमक और नींबू का रस मिलाकर पीना चाहिए।

12. चर्म रोग में गौ मूत्र और पीसे हुए जीरे के लेप से लाभ मिलता है। खाज, खुजली में गौ मूत्र उपयोगी है।

13. गौमूत्र मोटापा कम करने में भी सहायक है। एक ग्लास ताजे पानी में चार बूंद गौ मूत्र के साथ दो चम्मच शहद और एक चम्मच नींबू का रस मिलाकर नियमित पीने से लाभ मिलता है।

14. गौमूत्र का सेवन छानकर किया जाना चाहिए। यह वैसा रसायन है, जो वृद्धावस्था को रोकता है और शरीर को स्वस्थ्यकर बनाए रखता है।

15.गौमूत्र किसी भी प्रकृतिक औषधी के साथ मिलकर उसके गुण-धर्म को बीस गुणा बढ़ा देता है| गौमूत्र का कई खाद्य पदार्थों के साथ अच्छा संबंध है जैसे गौमूत्र के साथ गुड़, गौमूत्र शहद के साथ आदि|

16.अमेरिका में हुए एक अनुसंधान से सिध्द हो गया है कि गौ के पेट में "विटामिन बी" सदा ही रहता है। यह सतोगुणी रस है व विचारों में सात्विकता लाता है।

17.गौमूत्र लेने का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल का होता है और इसे पेट साफ करने के बाद खाली पेट लेना चाहिए| गौमूत्र सेवन के 1 घंटे पश्चात ही भोजन करना चाहिए|

18. गौमूत्र देशी गाय का ही सेवन करना सही रहता है। गाय का गर्भवती या रोग ग्रस्त नहीं होना चाहिए। एक वर्ष से बड़ी बछिया का गौ मूत्र बहुत लाभकारी होता है।

19. मांसाहारी व्यक्ति को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| गौमूत्र लेने के 15 दिन पहले मांसाहार का त्याग कर देना चाहिए| पित्त प्रकृति वाले व्यक्ति को सीधे गौमूत्र नहीं लेना चाहिए, गौमूत्र को पानी में मिलाकर लेना चाहिए| पीलिया के रोगी को गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| देर रात्रि में गौमूत्र नहीं लेना चाहिए| ग्रीष्म ऋतु में गौमूत्र कम मात्र में लेना चाहिए|

20. घर में गौमूत्र छिड़कने से लक्ष्मी कृपा मिलती है, जिस घर में प्रतिदिन गौमूत्र का छिड़काव किया जाता है, वहां देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है।

21.गौमूत्र में गंगा मईया वास करती हैं। गंगा को सभी पापों का हरण करने वाली माना गया है, अत: गौमूत्र पीने से पापों का नाश होता है।

22.जिस घर में नियमित रूप से गौमूत्र का छिड़काव होता है, वहां बहुत सारे वास्तु दोषों का समाधान एक साथ हो जाता हैं।

23. देसी गाय के गोबर-मूत्र-मिश्रण से '`प्रोपिलीन ऑक्साइड" उत्पन्न होती है, जो बारिस लाने में सहायक होती है| इसी के मिश्रण से 'इथिलीन ऑक्साइड' गैस निकलती है जो ऑपरेशन थियटर में काम आता है |

24. गोमुत्र कीटनाशक के रूप में भी उपयोगी है। देसी गाय के एक लीटर गोमुत्र को आठ लीटर पानी में मिलाकर प्रयोग किया जाता है । गोमुत्र के माध्यम से फसल को नैसर्गिक युरिया मिलता है। इस कारण खाद के रूप में भी यह छिड़काव उपयोगी होता है ।गौमूत्र से औषधियाँ एपं कीट नियंत्रक बनाया जा सकता है।

25. अमेरिका ने गौ मूत्र पर 6 पेटेंट ले लिए हैं, और अमेरिकी सरकार हर साल भारत से गाय का मूत्र आयात करती है और उससे कैंसर की दवा बनाती हैं । उसको इसका महत्व समझ आने लगा है। जबकि हमारे शास्त्रो मे करोड़ो वर्षो पहले से इसका महत्व बताया गय[truncated by WhatsApp]


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🍋🍋🍋 लिंबाचे 🍋🍋🍋🙏

🌹अतिथंड केलेल्या लिंबाचे आश्चर्यकारक परिणाम🌹

😀स्वच्छ धुतलेले लिंबु फ्रिजच्या फ्रिजर मध्ये ठेवा..
ते लिंबु पुर्णपणे थंड आणि बर्फासारखे कडल झाल्यावर, साधारणत: 8 ते 10 तासानी, एक किसनी घेउन ते सर्व लिंबु सालासकट किसुन घ्या.. नंतर तुम्ही जे काही खाल त्यावर ते किसलेले लिंबु टाकुन खा..

😀भाज्यांवर, सॅलड वर, आईसक्रीम, सुप, डाळी,  नुडल्स, स्पेगेटी, पास्ता, पिझ्झा, साॅस, भात, सुशी, मासे, मट्ण, या आणि अश्या अनेक पदार्थांवर टाकुन खाता येईन..

🌹सर्व अन्नाला एक अनपेक्षीत अशी छान चव येईल..
सगळ्यात महत्वाचे, आपल्याला फक्त लिंबाच्या रसातील व्हिटॅमिन सी चे गुणधर्म फक्त माहिती आहेत.. त्यापेक्षा अधिक गुणधर्म माहिती नाहीत..

😀सालासह संपुर्ण गोठलेले लिंबु कोणताही भाग वाया न जाता वापरल्यास एक वेगळी चव तर मिळतेच, परंतु त्याचे अजुन काय फायदे आहेत??

🌹लिंबाच्या सालीत लिंबाच्या रसापेक्षा 5 ते 10 पट जास्त व्हिटॅमिन सी असते.. आणि हाच भाग आपण वाया घालवतो..

🌹लिंबाची साल आरोग्य वर्धक आहे कारण त्यामुळे शरिरातील सर्व विषद्रव्ये शरिराबाहेर काढुन टाकायला मदत होते..

😀लिंबाच्या सालीचा एक आश्चर्य कारक फायदा म्हणजे त्याच्यामध्ये असलेली एक चमत्कारीक अशी क्षमता की ज्यामुळे शरिरातील सर्व कॅन्सरच्या पेशींचा नाश होतो.. केमोथेरपी पेक्षा ही लिंबाची साल 10,000 पट जास्त प्रभावी आहे..

🌹मग आपल्याला हे सर्व का माहिती नाही??

😀कारण आज जगात अश्या प्रयोगशाळा आहेत की ज्या त्याचे कृत्रिम पद्धतीने निर्मीती करण्यात गुंतल्या आहेत कारण त्यापासुन त्याना भरपुर नफा मिळतो..

😀तुम्ही आता तुमच्या गरजू मित्र / मैत्रिनीना सांगु शकता की कॅन्सर सारखा असाध्य आजार दुर ठेवण्यासाठी किंवा झाल्यास बरा करण्यासाठी लिंबाचा रस आणि साल किती फायदेशीर आहे.. त्याची चव पण खुप छान असते आणि केमोथेरपी प्रमाणे त्याचे भयानक साईड इफेक्ट पण नाही आहेत..

😀विचार करा, हा अतिशय साधा, सोपा, परंतु अत्यंत प्रभावी असा उपाय माहिती नसल्याने आज पर्यंत किती लोकाना आपले आयुष्य गमवावे लागले असेल आणि इथुन पुढे आपण किती लोकांचे प्राण वाचवू शकतो???

😀लिंबाच्या वनस्पतीत सर्व प्रकारचे कॅन्सर बरे करण्याची एक चमत्कारीक अशी क्षमता आहे.. याचा वापर बॅक्टेरीअल इन्फेक्षन आणि फंगस वर सुद्धा होउ शकतो.. शरिराअंतर्गत परोपजीवी आणि विषाणु वरही प्रभावी आहे..

😀लिंबाचा रस आणि विशेषत: साल रक्तदाब आणि मानसिक दबाव नियमीत करते.. मानसिक ताण आणि मज्जासंस्थेचे आजार नियंत्रीत करते..
या माहितीचा स्त्रोत अतिशय थक्क करणारा आहे :

😀जगातल्या सगळ्यात मोठ्या औषध निर्मिती कंपनी पैकी एक असलेल्या कंपनीने हे प्रसिद्ध केले आहे.. ते म्हणतात की 1970 पासुन 20 पेक्षा जास्त प्रयोगशाळानमध्ये संशोधन केल्यानंतर असे निदर्शनात आले आहे की, लिंबाची साल 12 पेक्षा जास्त कॅन्सरच्या घातक पेशी नष्ट करतात..

😀लिंबाच्या झाडाचे औषधी गुणधर्म कॅन्सरवरील ड्रामायसीन या केमेथेरपीसाठी सामान्यपणे वापरल्या जाणा-या औषधापेक्षा 10,000 पट जास्त प्रभावी ठरले आहे.. लिंबाची साल कॅन्सरच्या पेशींची वाढ मंदावते..

😀आणि अधिक आश्चर्याची गोष्ट म्हणजे या लिंबाच्या औषधामुळेच फक्त कॅन्सरच्याच पेशींचा नाश होतो, त्याचा निरोगी पेशिंवर कोणताही विपरीत परिणाम होत नाही..

🙏म्हणुन चांगल्या पिकलेल्या लिंबाना स्वच्छ धुवा, त्याना गोठवा आणि किसनीवर किसुन रोजच्या आहारात वापरा..
तुमचे संपुर्ण शरिर त्याबद्दल तुम्हाला धन्यवाद देईल..

       🙏डॉ. विकास बाबा आमटे🙏
                 आनंदवन
🍋🍋🍋🍋🍋🍋🍋🍋🍋 Please forward to as many as possible


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🔸न्युझीलंडमधे लहान वयातील मुलांमध्ये मधुमेहाचे प्रमाण  प्रचंड प्रमाणात वाढले होते.त्याची कारणे शोधण्यासाठी शासनाने तज्ज्ञांची समिती 1993 मधे  नेमली  होती.या समितीने  मधुमेही लहान मुलांच्या आहाराचे  जैवरासायनिक विश्लेषण ( biochemical analysis ) केले तेव्हा त्यांच्या निदर्शनास धक्कादायक बाब आली ती म्हणजे  या सर्व रोगाचे कारण म्हणजे  जर्सी , होल्स्टेन फ्रीजीयन ,  रेड डॅनिश या काउ चे दुध हे आहे.या संशोधनानंतर या विषयावर परत   97 वेळा  विविध  तज्ज्ञ्यांनी अभ्यास केला.सर्वांचा निष्कर्ष सारखाच  आहे. भारतीयांचे डोळे खाडकन उघडावे अशी घटना म्हणजे  जेव्हा या शास्रज्ञांनी  भारतीय वंशाच्या गायीच्या दुधाचा अभ्यास केला तेव्हा त्यांच्या असे लक्षात आले की भारतीय गायीचे दुध हे A2 प्रकारचे असुन ते आरोग्यासाठी अत्यंत उपयुक्त आहे .इतकेच नाही तर  मधुमेह  ह्रदयरोग  कॅन्सर  इ.विविध आजार दूर   करण्याची त्यामधे क्षमता आहे.भारतीय देशी गायीच्या तुपामुळे ह्रदयरोग्याच्या  रक्तवाहिन्यांमधील कोलेस्टेरॉल दूर होते तर गोमुत्रामुळे कॅन्सर  बरा होतो.विचार करा आपल्या  प्राचीन भारतीय ऋषीमुनींचा अभ्यास किती सखोल होता ते.जे आधुनिक शास्त्रज्ञांना  समजायला इतकी वर्षे लागली  की  देशी गायीचे  दुध  तूप  गोमूत्र  मानवी आरोग्यासाठी वरदान आहे  हे हजारो वर्षापुर्वीच आपल्या आयुर्वेदात सांगितलंय .ज्याप्रमाणे महाभारतामधे कृष्णाला विषारी दुध पाजून मारायला पुतना नावाची राक्षसीण आली होती  अगदी त्याच पध्दतीने सध्या भारतीयांपुढे जर्सी होल्स्टेन फ्रीजीयन या प्राण्यांच्या दुधाचे  ओढवुन घेतलेले संकट आहे  असे  कोणाला वाटल्यास त्यात अतिशयोक्ती नाही.

🔸 दुधावरील या संशोधनामुळे न्युझीलंड  , अमेरिका  , ऑस्ट्रेलिया,  ब्रिटन , ब्राझील या देशांमधे   जर्सी ,होल्स्टेन फ्रिजियन या  प्राण्यांचे A1 दूध पिणे  बंद केले असुन भारतीय गायींच्या दुधाला प्रचंड मागणी वाढली आहे.इतकेच काय पण तिथे विकल्या जाणाऱ्या दुधाच्या पिशव्यांवरही ते दुध  A1 आहे की  A2 आहे हे लिहिण्याचे बंधन आहे.खरे तर  भारतातही  दुधाच्या  पिशव्यांवर त्यातील दूध हे A1 आहे की A2 आहे हे लिहिण्याची मागणी ग्राहकांनी करायला हवी कारण आपण काय विकत घेतो त्याबद्दल जाणुन घेण्याचा ग्राहकांना कायद्याने पूर्ण अधिकार असतो.जसे तंबाखू, सिगारेटच्या पॅकेटवर त्याचे सेवन  आरोग्यास घातक असल्याची सूचना लिहिली जाते त्याप्रमाणे ...
🔸भारतात मात्र या बाबतील पूर्ण गोंधळच आहे.अजुन आम्हाला दुधाच्या  A1 व A2 मधील  फरकच  माहित नाही.सर्वसामान्य जनतेला गायीचे दूध (cow milk)या गोंडस  नावाने  जर्सी या घाणेरड्या प्राण्याचे रोगकारक  A1दुध विकले जाते.सध्या लोकाना  आपली खरी गाय कोणती  व  विदेशी जर्सी प्राणी कोणता हा फरकच समजानासा झालाय.इतका की अगदी Whats app च्या smileys  मधे देखील 🐄🐄🐄🐄🐄 हे  जर्सीचे चित्र दिले आहे,त्यास आपण  गैरसमजाने  गाय समजतोय.देशी गाय व जर्सी  हे एकमेकांपासुन पूर्ण वेगळे आहेत.दोन्ही समोर ठेऊन निरीक्षण करा म्हणजे फरक समजेल. जर्सीचे दुध प्यायल्यामुळे  मधुमेहाचे  प्रमाण प्रचंड वाढले आहे.अगदी लहान मुलांमध्ये देखील  मधुमेहाचे प्रमाण खूप वाढले आहे.आम्ही एकीकडून मधुमेहावर उपाय म्हणून  महागडी औषधे  घेतो तर दुसरीकडे गायीचे समजून  जर्सीचे A1 दुध पितो.कसा रोग बरा होणार ??आहे की नाही गोंधळ ??
🔸गेल्या 40 वर्षांपासुन   विदेशातून जर्सी  भारतात आणल्या तेंव्हापासून भारतात  मधुमेहाचे प्रमाण प्रचंड वाढले आहे.आपल्या शास्त्रज्ञानी  श्वेतक्रांतीच्या नावाखाली भारतीय देशी गायींचे विदेशी जर्सी प्राण्यांबरोबर संकर करुन भारतीय गायींचा वंश नासवला . त्यामुळे  देशी गायींच्या  80  पैकी 57  जाती  नामशेष झाल्या   व जर्सीचे रोगकारक दूध पिण्याची वेळ जनतेवर आली.     एके काळी देशी गायींच्या दुधाने समृध्द असणाऱ्या आपल्या देशात आज देशी गायीचे दूध मिळणे अवघड बनले.देशी गायीचे तूप  मिळणे तर फारच  दुर्मिळ , कसेबसे राजस्थानातील पथमेडा या ठिकाणी शुध्द देशी गायींना  जतन केले आहे . प्रयत्नपूर्वक  तेथील शुध्द गायीचे तुप मिळू शकते ही त्यातल्या त्यात जमेची बाब.परदेशांनी मात्र गेल्या काही वर्षात भारतामधून देशी गायी नेऊन त्यांची उत्तम शुध्द स्वरुपात जोपासना केली आहे.ब्राझीलमधे साठ लक्ष शुध्द भारतीय गीर गायी आहेत.तर मूळ भारतात त्यांची संख्या शिल्लक आहे फक्त तीन हजार... ब्राझीलमधे एका भारतीय गीर गायीचे दिवसाचे दूध उत्पादन आहे 64 लिटर.(इंटरनेटवर ही सर्व माहिती आहे.)असे असुनही आपले डोळे अजूनही  उघडलेले नाहीत.भारतात आजही दिवसाला लक्षावधी देशी  गायींचा  जर्सीबरोबर संकर करुन त्यांचा वंश आपण नासवून विषारी बनवत आहोत.हे असेच चालू राहिले तर येत्या पाच वर्षात देशी गायी भारतातून नामशेष होतील असा इशारा तज्ज्ञांनी भारताला दिला आहे.

    मित्रांनो , आपल्या घरी विकत घेतले जाणारे दूध खऱ्या देशी गायीचे आहे  की त्या नावाखाली जर्सीचे  दूध आहे  हे  तपासा. देशी गायीच्या  दुधाचे सेवन करुन  आरोग्य सांभाळा . तसेच  बाहेर जेवताना पनीर ,चीज  हे  कोणत्या दुधापासुन बनवले आहे याची खात्री करुन आपले व कुटुंबाचे आरोग्य जपा  ही विनंती.🙏🙏🙏
 

अतिशय छान माहिती.जास्तीत जास्त लोकांपर्यंत  हे सत्य पोहोचवा ही  विनंती .🙏🙏 
Forwarded by Dr.Sunil Adangale , Ph.D. ,Animal Science and Dairy Tech.MPKV .Rahuri


Fwd: गर्मियों में सिर्फ ठंडक देने के अलावा इन रोगों से भी बचायेगा खीरे का पानी | जानें क्या वाकई कृत्रिà


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From: Onlymyhealth.com <onlymyhealth@onlymyhealth.com>
Date: 2016-03-29 8:17 GMT+05:30
Subject: गर्मियों में सिर्फ ठंडक देने के अलावा इन रोगों से भी बचायेगा खीरे का पानी | जानें क्या वाकई कृत्रिà
To: mggarga@gmail.com


 
March 29, 2016 | www.onlymyhealth.com
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गर्मियों में सिर्फ ठंडक देने के अलावा इन रोगों से भी बचायेगा खीरे का पानी

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Friday, March 18, 2016

आपके अन्दर



visit


परम पूज्य सुधांशुजी महाराज 

जिनका आज जनम दिन या विवहा की सालगिरह है 

उनको और सब को आशीर्वाद देते हुए 



आपके अन्दर कोई दोष है तो अपने को सजा दीजिए। दूसरे का दोष देखो तो उसको क्षमा कर दीजिए।

Thursday, March 17, 2016

Fwd:


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-03-14 19:25 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


⛔ Benefits from JAGGERY

☀गुड़ खाने से 18 फायदे💊

💥(1)
गुड़ खाने से नहीं होती गैस की दिक्कत

💥(2)
खाना खाने के बाद अक्सर मीठा खाने का मन करता हैं। इसके लिए सबसे बेहतर है कि आप गुड़ खाएं। गुड़ का सेवन करने से आप हेल्दी रह सकते हैं
💥(3)
पाचन क्रिया को सही रखना
💥(4)
गुड़ शरीर का रक्त साफ करता है और मेटाबॉल्जिम ठीक करता है। रोज एक गिलास पानी या दूध के साथ गुड़ का सेवन पेट को ठंडक देता है। इससे गैस की दिक्कत नहीं होती। जिन लोगों को गैस की परेशानी है, वो रोज़ लंच या डिनर के बाद थोड़ा गुड़ ज़रूर खाएं
💥(5)
गुड़ आयरन का मुख्य स्रोत है। इसलिए यह एनीमिया के मरीज़ों के लिए बहुत फायदेमंद है। खासतौर पर महिलाओं के लिए इसका सेवन बहुत अधिक ज़रूर है
💥(6)
त्वचा के लिए -- गुड़ ब्लड से खराब टॉक्सिन दूर करता है, जिससे त्वचा दमकती है और मुहांसे की समस्या नहीं होती है।
💥(7)
गुड़ की तासीर गर्म है, इसलिए इसका सेवन जुकाम और कफ से आराम दिलाता है। जुकाम के दौरान अगर आप कच्चा गुड़ नहीं खाना चाहते हैं तो चाय या लड्डू में भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
💥(8)
एनर्जी के लिए -- बुहत ज़्यादा थकान और कमजोरी महसूस करने पर गुड़ का सेवन करने से आपका एनर्जी लेवल बढ़ जाता है। गुड़ जल्दी पच जाता है, इससे शुगर का स्तर भी नहीं बढ़ता। दिनभर काम करने के बाद जब भी आपको थकान हो, तुरंत गुड़ खाएं।
💥(9)
गुड़ शरीर के टेंपरेचर को नियंत्रित रखता है। इसमें एंटी एलर्जिक तत्व हैं, इसलिए दमा के मरीज़ों के लिए इसका सेवन काफी फायदेमंद होता है।
💥(10)
जोड़ों के दर्द में आराम -- रोज़ गुड़ के एक टुकड़े के साथ अदरक का सेवन करें, इससे जोड़ों के दर्द की दिक्कत नहीं होगी।
💥(11)
गुड़ के साथ पके चावल खाने से बैठा हुआ गला व आवाज खुल जाती है।
💥(12)
गुड़ और काले तिल के लड्डू खाने से सर्दी में अस्थमा की परेशानी नहीं होती है।
💥(13)
जुकाम जम गया हो, तो गुड़ पिघलाकर उसकी पपड़ी बनाकर खिलाएं।
💥(14)
गुड़ और घी मिलाकर खाने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
💥(15)
भोजन के बाद गुड़ खा लेने से पेट में गैस नहीं बनती ।
💥(16)
पांच ग्राम सौंठ दस ग्राम गुड़ के साथ लेने से पीलिया रोग में लाभ होता है।
💥(17)
गुड़ का हलवा खाने से स्मरण शक्ति बढती है।
💥(18)
पांच ग्राम गुड़ को इतने ही सरसों के तेल में मिलाकर खाने से श्वास रोग से छुटकारा मिलता है।

🅾♓♓♓♓♓🅾


Fwd:


---------- Forwarded message ----------
From: Madan Gopal Garga <mggarga2013@gmail.com>
Date: 2016-03-15 9:43 GMT+05:30
Subject:
To: Madan Gopal Garga <mggarga@gmail.com>


आर्थराइटिस का उपचार : राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

"घुटने कभी भी मत बदलिए"

इस अग्रेजी पद्धति के उपचार से प्रधानमन्त्री वाजपेयी जी की क्या हालत हुई है आपके सामने है चलते थे आज चल भी नहीं सकते

१. दोनों तरह के आर्थराइटिस (Osteoarthritis और Rheumatoid arthritis) मे आप एक दावा का प्रयोग करे जिसका नाम है चुना, वोही चुना जो आप पान मे खाते हो | गेहूं के दाने के बराबर चुना रोज सुबह खाली पेट एक कप दही मे मिलाके खाना चाहिए, नही तो दाल मे मिलाके, नही तो पानी मे मिलाके पीना लगातार तिन महीने तक, तो आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा | अगर आपके हात या पैर के हड्डी मे खट खट आवाज आती हो तो वो भी चुने से ठीक हो जायेगा |

२. दोनों तरह के आर्थराइटिस के लिए और एक अछि दावा है मेथी का दाना | एक छोटा चम्मच मेथी का दाना एक काच की गिलास मे गरम पानी लेके उसमे डालना, फिर उसको रात भर भिगोके रखना | सबेरे उठके पानी सिप सिप करके पीना और मेथी का दाना चबाके खाना | तिन महीने तक लेने से आर्थराइटिस ठीक हो जाती है | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |

३. ऐसे आर्थराइटिस के मरीज जो पूरी तरह बिस्तर पकड़ जुके है, चाल्लिस साल से तकलीफ है या तिस साल से तकलीफ है, कोई कहेगा बीस साल से तकलीफ है, और ऐसी हालत हो सकती है के वे दो कदम भी न चल सके, हात भी नही हिला सकते है, लेटे रहते है बेड पे, करवट भी नही बदल सकते ऐसी अवस्था हो गयी है .... ऐसे रोगियों के लिए एक बहुत अछि औषधि है जो इसीके लिए काम आती है | एक पेड़ होता है उसे हिंदी में हरसिंगार कहते है, संस्कृत पे पारिजात कहते है, बंगला में शिउली कहते है , उस पेड़ पर छोटे छोटे सफ़ेद फूल आते है, और फुल की डंडी नारंगी रंग की होती है, और उसमे खुसबू बहुत आती है, रात को फूल खिलते है और सुबह जमीन में गिर जाते है । इस पेड़ के छह सात पत्ते तोड़ के पत्थर में पिस के चटनी बनाइये और एक ग्लास पानी में इतना गरम करो के पानी आधा हो जाये फिर इसको ठंडा करके रोज सुबह खाली पेट पिलाना है जिसको भी बीस तिस चाल्लिस साल पुराना आर्थराइटिस हो या जोड़ो का दर्द हो | यह उन सबके लिए अमृत की तरह काम करेगा | इसको तिन महिना लगातार देना है अगर पूरी तरह ठीक नही हुआ तो फिर 10-15 दिन का गैप देके फिर से तिन महीने देना है | अधिकतम केसेस मे जादा से जादा एक से देड महीने मे रोगी ठीक हो जाते है | इसको हर रोज नया बनाके पीना है | ये औषधि exclusiveExclusive है और बहुत strong औषधि है इसलिए अकेली हि देना चाहिये, इसके साथ कोई भी दूसरी दावा न दे नही तो तकलीफ होगी | ध्यान रहे पानी पिने के समय हमेशा बैठ के पीना चाहिए नही तो ठीक होने मे समय लगेगा |

घुटने कभी भी मत बदलिए :
राजीव दीक्षित Rajiv Dixit

RA Factor जिनका प्रोब्लेमाटिक है और डॉक्टर कहता है के इसके ठीक होने का कोई चांस नही है | कई बार कार्टिलेज पूरी तरह से ख़तम हो जाती है और डॉक्टर कहते है के अब कोई चांस नही है Knee Joints आपको replace करने हि पड़ेंगे, Hip joints आपको replace करने हि पड़ेंगे | तो जिनके घुटने निकाल के नया लगाने की नौबत आ गयी हो, Hip joints निकालके नया लगाना पड़ रहा हो उन सबके लिए यह औषधि है जिसका नाम है हरसिंगार का काड़ा |

राजीव भाई का कहना है के आप कभी भी Knee Joints को और Hip joints को replace मत कराइए | चाहे कितना भी अच्छा डॉक्टर आये और कितना भी बड़ा गारंटी दे पर कभी भी मत करिये | भगवान की जो बनाई हुई है आपको कोई भी दोबारा बनाके नही दे सकता | आपके पास जो है उसिको repair करके काम चलाइए | हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री अटलजी ने यह प्रयास किया था, Knee Joints का replace हुआ अमेरिका के एक बहुत बड़े डॉक्टर ने किया पर आज उनकी तकलीफ पहले से जादा है | पहले तो थोडा बहुत चल लेते थे अब चलना बिलकुल बंध हो गया है कुर्सी पे ले जाना पड़ता है | आप सोचिये जब प्रधानमंत्री के साथ यह हो सकता है आप तो आम आदमी है |

अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें : http://www.youtube.com/watch?v=B0RX7alIatw

बुखार का दर्द का उपचार :

डेंगू जैसे बुखार मे शरीर मे बहुत दर्द होता है .. बुखार चला जाता है पर कई बार दर्द नही जाता | ऐसे केसेस मे आप हरसिंगार की पत्ते की काड़ा इस्तेमाल करे, 10-15 दिन मे ठीक हो जायेगा |

वन्देमातरम्


Fwd: कैंसर के इलाज में ऐसे सहायक है अंजीर | इन लक्षणों से जानें आपका प्यार है कितना गहरा


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From: Onlymyhealth.com <onlymyhealth@onlymyhealth.com>
Date: 2016-03-17 8:18 GMT+05:30
Subject: कैंसर के इलाज में ऐसे सहायक है अंजीर | इन लक्षणों से जानें आपका प्यार है कितना गहरा
To: mggarga@gmail.com


 
March 17, 2016 | www.onlymyhealth.com
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