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Tuesday, December 28, 2010

दया धर्म का मूल हे

दया धर्म का मूल हे ,पाप मूल अभिमान ,
तुलसी दया न छोडिए , जब लग घट   में प्राण !


जब में था हरी नहीं ,हरी हें में नहीं ,
प्रेम गली अति सांकरी, जा में दो न समाए!

Monday, December 27, 2010

dohe 11

तुम ने दिया देश को जीवन ,
देश तुम्हे क्या देगा ?
अपनी आग बुझाने को ,
नाम तुम्हारा लेगा

राम नाम रटते रहो, जब लग घट में प्राण ,
कभी तो दीनदयाल के भनक पड़ेगी कान !

रात यों कहने लगा , मुझ से गगन का चाँद ,
आदमी भी क्या अनोखी चीज हे !